भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गौं कु विकास / धनेश कोठारी

Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:50, 2 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धनेश कोठारी |अनुवादक= |संग्रह=ज्य...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हे जी!

इन बोदिन बल कि

गौं का

विकास का बिगर

देश अर समाज कु

बिकास संभव नि च

हांऽ भग्यानि!

तब्बि त

अब पंचैत राज मा

गौं- खौंळौं मा

बौनसाई नेतौं कि

पौध रोपेणिं च