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गौतम नार सिला कर डारी / हरियाणवी

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गौतम नार सिला कर डारी
मुर्गा बांग दगे की दे गया, बांग दगे की न्यारी
गौतम ऋषि जी के न्हाने की तैयारी।
गौतम ऋषि जी ने जब न्हान संयोया, बोली यमुना माई,
कौन रे पापी आन जगाई, मैं तो सोऊं थी नग्न उघारी,
क्या री माता भूल गई हो, भूलत बात बिसारी,
मैं गौतम ऋषि भगत तुम्हारा।
तूं तो रे भोले भूल गया है, भूलत बात बिसारी,
तेरे तो रे भोले घर हो रही है जारी
कुछ गौतम ऋषि न्हाये कुछ न्हान न पाये, कांधे धोती डारी,
जब गौतम ऋषि ड्योड़ी आये, ड्योढ़ी चन्दरमा पाये,
दे मिरगछाला जा उन मस्तक मारी,
गौतम नार सिला कर डारी।