Last modified on 30 जून 2016, at 01:29

ग्यारह / बिसुआ: फगुआ / सान्त्वना साह

चैत हे सखी मैया मड़पिया, भक्ता लगावै छै गुहार हे
सब रो बलकवा पेॅ, शीतल नजरिया, कष्टो के करिहो नेवार हे।

बैसाख हे सखी साँझे विहनिया, पनिया लेॅ रनिया जाय हे
टेबी टिकोलवा, मारै जे ढेपवा, माथे मटुकी फुटी जाय हे।

जेठ हे सखी कोठा अटरिया, बदरा करै छै घमासान हे
ठनका जे ठनकै रामा, बिजुरी जे चमकै, मने मन उमगै किसान हे।

अषाढ़ हे सखी फुनगी फुहरिया, चुनमुन चिरैइया मिली गाय हे
औआय बौआय बहै, पछिया बतसिया, तापेॅ संताप मिटी जाय हे।

सावन हे सखी कजरी झुमरिया, झुली झूली गावै मल्हार हे
कुसुमा रोपिनिया, के छनकै पैजनिया, डगमग नैया मझधार हे।

भादो हे सखी चौठी चनरमा, चितवा चोरावै चितचोर हे
मैना विषहरी, बिहुला के गाथा, गूँजै छै चहूँ दिस जोर हे।

आसिन हे सखी साजी केॅ थरिया, तीनहू मैया तैयार हे
राजतिलक करै, ऋषि वशिष्ठा, सियारामेॅ शोभै दरबार हे।

कातिक हे सखी यमराज भैया, यमुना के ऐंगना पाहुन हे
दे देॅ आसिस भैया, जग के बहिनिया केॅ, बचली रहेॅ असगुन हे।

अगहन हे सखी खनकै छै कचिया, चूड़िया मिलाबै संग ताल हे
लटवा जे झूली झूली, चुमै टिकुलिया, मोहिनी मूरतिया कमाल हे।

पूस हे सखी पुरनिमा दिनमा, करबै पूसभत्ता पोखरी पार हे
खैबै तिलखिचड़ी, घी पापड़ दही, संगे अचार सखी चार हे।

माघ हे सखी बरसै जे मेघिया, अमरित झड़ै छै बुनी जान हे
रबिया जे उपजै रामा, दोबर सबैया, हलसै भनसिया संग किसान हे।

फागुन हे सखी नगरी हिमाचल, भोला के ऐलै बरियात हे
दुल्हा के रूप देखी, भूतियैली मैना, नारद मुनि केॅ गरियात हे।