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घटनाक्रमक वर्णन / भाग 1 / रमापति चौधरी

जखनहिं सुनलहुँ विष भोजन सँ, भीम मुरुछिकेँ खसला
जल-यात्रा विच, बीच धार मे डुबला ततहि बिलयला
प्रातः पुनः पहुंचला जीवित द्विगुणित बल लय जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥10॥

जखनहिं सुनलहुँ चित्र देखिकेँ मत्स्यबेध कय देलनि
द्रुपदसुता सुभगा अर्जुन केँ विजय माल पहिरौलनि।
टुकुर टुकुर तकिते नृप रहला बीच स्वयंवर जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥11॥

जखनहि सुनलहुँ साश्चर्य हम लाक्षागृह जरि गेले
माता सहित पाँच पाण्डव केँ कुशकलेप नहि भेले।
युक्ति बुद्धि विदुरक लय एहि सँ बचला पाण्डव जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥12॥

जखनहि सुनलहुँ अग्निदेव हित खाण्डव वन जरि गेले
इन्द्रदेव रिरियाइते रहला विजयी अर्जुन भेले,
एतद्रूप विभूषित अर्जुन शुभ वर पौलन्हि जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥13॥

जखनहि सुनलहुँ जाय द्वारका पार्थ सुभद्रा हरलन्हि
विकट कोप होउतहुँ बलरामक, अति मर्यादा पौलन्हि
सादर दान द्रव्य अर्जुन हित, अनलन्हि यादव जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥14॥

जखनहि सुनलहुँ स्वर्ग जाय ओ अस्त्र महास्त्रो पौलन्हि
तहिना सीखि विविध रण-विद्या सबहिं पुरस्कृत कैलन्हि
तनिकर तेजो बलक प्रशंसा सुरपति कयलन्हि जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥15॥

जखनहि सुनलहुँ दुर्ज्जय दानव त्रासित कयलक सुरकेँ
कालकेय अरु पौलोमासन निर्जित कयलन्हि थुरिकेँ
सुर पूजित शंसित पुनि अर्जुन जग छथि संजय जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥16॥

जखनहि सुनलहुँ मगधराजकेँ भीमबली तहँ डटिकेँ
जरासंध सन दिग्विजयीकेँ चीरि विदारल ठठिकेँ
बिनु अस्त्रहि भुजबल सँ केवल मारल तकरा जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥17॥

जखनहि सुनलहुँ पाण्डुपुत्र सब बसकयलन्हि नृपसब केँ
महाप्रतापी बलशाली सब छलाधीन पाण्डव केँ
महायज्ञ पुनि राजसूय सन कयलन्हि पाण्डव जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥18॥

जखनहि सुनलहुँ ऋतुमति द्रौपदि झोंटियाइत भय अयली
बीचसभा विकला विलला सनि रहितहुँ नाथ अलेली
दुःशासन दुरमति अबलाकेँ विकला कयलक जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥19॥

जखनहि सुनलहुँ महामन्द मति दुःशासन ई कयलक
साड़ी खिंचइत ढेर लगौलक पार न तैयो पौलक
सभीबीच सब चुप्पे रहला वर्ज न कयलनि जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥20॥