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घटनाक्रमक वर्णन / भाग 5 / रमापति चौधरी

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जखनहि सुनलहुँ शरशय्या पर प्यासल भीष्म पितामह
मात्र इशारहिं सबसँ मँगलन्हि गंगा पानि पियाबह
भूमि छेदि अर्जुन गंगहिजल तिरपित कयलनि जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥51॥

जखनहि सुनलहुँ वायुचन्द्र रवि शुभलक्षण दर्शावथि
लाभस्थान जाय पाण्डवदिशि विजय सूचना लावथि
उल्लू-गीदर-गिद्ध-कुकुर-रव मम दिशि दरशय जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥52॥

जखनहि सुनलहुँ युद्ध भयंकर रणकौशल गुरू द्रोणक
गाजर मूरि सदृश नित काटथि पाण्डव सैन्य समूलक
किन्तु पाँच पाण्डव मे एकहु मारि न सकले जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥53॥

जखनहि सुनलहुँ अर्जुन बधहित संशप्तक छल जुटले
विकट वीर योद्धा सब मिलिकैँ लय साहस छल अड़ले
किन्तु हाय एकसर अर्जुन तँह मारल सबकेँ जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥54॥

जखनहि सुनलहुँ चक्रव्यूह अति दुर्ज्जय द्रोणक रण मे
बालवीर अभिमन्यु भेदिकेँ चीरि विदारल क्षण मे
कौरव सैन्य महाबलशाली ठठिनहि सकले जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥55॥

जखनहि सुनलहुँ एक एकाकी आतंकित कय देलक
बालवीर सब कौरवगणकेँ छकवा पटवा कयलक
विकट देखि रणकौशल वीरक विकल भेला सब जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥56॥

जखनहि सुनलहुँ सात महारथि युद्ध अनीतिक कयलन्हि
अस्त्रहीन रथहीन एक पर सब सामर्थ्य देखौलन्हि
बालवीर अभिमन्यु शिरोमणि मारल गेला जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥57॥

जखनहि सुनलहुँ मूढ़ पुत्र मम हर्षोन्माद मनाबथि
निजवंशक होनहार वीरकेँ जयद्रथ मारि देखावथि
पार्थ प्रतिज्ञा जयद्रथ वधहित भीषण कयलनि जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥58॥

जखनहि सुनलहुँ कठिन प्रतिज्ञा पूर्तिपार्थ कय देलनि
अछइत वीरशिरोमणि बीचे मारि जयद्रथ देलनि
अनीतिक बदला एकहि क्षण मे लेलन्हि अर्जुन जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥59॥

जखनहि सुनलहुँ युद्धक्षेत्र मे स्वयं कृष्ण लखि घोड़हिं
थकित पियासल व्याकुल, अपनहिं पानि पियौलन्हि प्रेमहिं
जोति रथहिं पुनि पार्थ सहित गृह अयला सकुशल जखने
विजय आस संजय हम त्यागल भय निराश पुनि तखने॥60॥