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घट -स्थापना / कविता भट्ट


हे पिता मेरे !
करते हुए आज
घट- स्थापना
स्नेह -जल भरना
घट-भीतर
और अक्षत कुछ
मेरे नाम के
उसमें डाल देना
कुछ जौ बोना
हरियाली के लिए
तरलायित
स्नेह में भिगोकर,
फलेगी पूजा
बिन जप-पूजन
मेरे नाम से
अभिमंत्रित कर
नित्य सींचना
ओ ! मेरे सूत्रधार
गर्भ में बोया
है मुझे तुमने ही
अंकुरित हूँ
अब प्रथम बीज
हूँ शैलपुत्री
बनूँगी सिद्धिदात्री
ध्यान रखना !
नष्ट नहीं हो जाए
गर्भ में अंकुरण !!