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घनन घनन घन घटे बोले / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

घनन घन्न घन घंटे बोले
मंदिर के पट अभी खुले
भजन गा रहे भक्त खड़े हो
मीठे स्वर में घुले-घुले

जागो जल्दी भागो तुम भी
दर्शन करके आ जाओ
मंजन कर लो मुँह धोलो फिर
दूध पिलाऊँगी आ जाओ।

मुर्गा बोला था कुकड़ू कूं
लेकिन तब तुम जागे नहीं
कागा भी मुंडेर पर बोला
सुनकर भी तुम उठे नहीं

मिथु मित्र तुम्हारा देखो
तुम्हें बुलाने आया है।
बाहर जाकर खेलो तुम भी
खेल-खेलने आया है।