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घनश्याम / सपन सारन

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छोटी-छोटी सड़कें
लम्बे-लम्बे जाम
कैसी नागरिया में आए घनश्याम ।

छोटे-छोटे घर हैं
मोटे-तगड़े दाम
‘किचन’ में लोट लगाएँ घनश्याम ।

मीठे-मीठे बोल हैं
खारे जजमान
फाँस में फँसते जाएँ घनश्याम ।

छोटी-छोटी अँखिया
ख़्वाब तमाम
मोह माया में अटे घनश्याम ।

लघु-लघु दुख है
लम्बे-लम्बे गान
ऊँचे-ऊँचे सुर में गाएँ घनश्याम ।

धुनी-धुनी दुनिया
दौड़े चारों धाम
बांसुरी बजाते जाएँ घनश्याम ।