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"घबराए जो अजल से इंसान वो नहीं है / हरिराज सिंह 'नूर'" के अवतरणों में अंतर

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घबराए जो अजल से इंसान  वो नहीं है।
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इंसान की तरह जो आता नहीं है दौड़ा,
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जो भक्त की न सुनता भगवान वो नहीं है।
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करते हो छुप के तुम क्यों सब काम ज़िन्दगी के?
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हर काम से तुम्हारे अन्जान वो नहीं है।
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इल्मो-अदब की पूजा करता नहीं जो इन्सां,
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बेबाक मेरा कहना विद्वान वो नहीं है।
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अपनों के हक में जो कुछ अब तक किया है हमने,
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कुछ भी है ‘नूर’ लेकिन अहसान वो नहीं है।
 
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18:40, 29 अक्टूबर 2019 के समय का अवतरण

घबराए जो अजल से इंसान वो नहीं है।
लाए न जो तबाही तूफ़ान वो नहीं है।

इंसान की तरह जो आता नहीं है दौड़ा,
जो भक्त की न सुनता भगवान वो नहीं है।

करते हो छुप के तुम क्यों सब काम ज़िन्दगी के?
हर काम से तुम्हारे अन्जान वो नहीं है।

इल्मो-अदब की पूजा करता नहीं जो इन्सां,
बेबाक मेरा कहना विद्वान वो नहीं है।

अपनों के हक में जो कुछ अब तक किया है हमने,
कुछ भी है ‘नूर’ लेकिन अहसान वो नहीं है।