भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

घर है छोटा देश हमारा / रमेश तैलंग

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:18, 7 सितम्बर 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

घर है छोटा देश हमारा ।

चाची तो गुजरात से आई,
और पंजाब की हैं ’भरजाई’,
ताई जी हैं राजस्थानी,
बोलें- ‘म्हारा...थारा..’ !

सुबह ढोकले, पूरन-पूरी,
शाम बने रोटी तंदूरी,
उसके संग-संग हरी मिर्च की
चटनी का चटकारा ।

मम्मी-पापा, ताया-ताई,
भाई जी उनकी भरजाई,
छोटे-से घर में हिल-मिल कर
सारे करें गुज़ारा ।

घर है छोटा देश हमारा ।