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घर / ओम पुरोहित ‘कागद’

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घर
घर है
और
बाहर
बाहर ही
...दोनोँ का
अपनी अपनी जगह रहना
बहुत जरूरी है
घर से बाहर होने पर
घर साथ रहे तो
घर कभी
बिखरता नहीँ
और यदि
घर लौटते वक्त
बाहर भी
घर के भीतर
आ जाए तो
कभी कभी
बिखर जाता है घर ।