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घर / राजकिशोर सिंह

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घर कितना देता था सुऽ मुझे
पता चला उसके उजड़ने के बाद
कितना तपता था कड़ी ध्ूप में वो
पता चला उससे गुजरने के बाद

तिनका कितना सटा था मेघ के लिए
पता चला तिनका बिऽरने के बाद
कितनी आहें भरता होगा मेरे अभाव में
पता चला हालात बिगड़ने के बाद

तन से कलेजा काट ले गया कोई
पता चला उससे मुड़ने के बाद
है कोई ताकत जो बसा ले घर में
किसी पराये से झगड़ने के बाद।