घाम-दिन गइस, आइस बरखा के दिन
सनन-सनन चले पवन लहरिया।
छाये रथ अकास-मां, चारों खूंट धुंवा साही
बरखा के बादर निच्चट भिम्म करिया।।
चमकय बिजली, गरजे घन घेरी-बेरी
बससे मूसर-धार पानी छर छरिया।
भर गें खाई-खोधरा, कुंवा डोली-डांगर "औ"
टिप टिप ले भरगे-नदी, नरवा, तरिया।।