घुटन है पल-पल
नेत्र हुए जल-जल
बन्धु, बस करो, बस
देश हुआ दल-दल
इंसाँ हो गर तुम
मत करो छल, छल
विदेशी गए, भाषा
पर नहीं, टल, टल
अब इक सपना है
ढाके का मल-मल
थाली पर इक हुए
बिखरेंगे कल, कल
रोटी हुई चाँद
लोग हुए कल, कल
15.04.97
घुटन है पल-पल
नेत्र हुए जल-जल
बन्धु, बस करो, बस
देश हुआ दल-दल
इंसाँ हो गर तुम
मत करो छल, छल
विदेशी गए, भाषा
पर नहीं, टल, टल
अब इक सपना है
ढाके का मल-मल
थाली पर इक हुए
बिखरेंगे कल, कल
रोटी हुई चाँद
लोग हुए कल, कल
15.04.97