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"घृणा थी रौंदी / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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घृणा थी रौंदी
 
घृणा थी रौंदी
किसी को दु:ख में देखा
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किसी का दु:ख देखा
 
तो हिस्सा माँगा,
 
तो हिस्सा माँगा,
ज़हर मिला-
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सदा ज़हर मिला-
सब खुद पी डाला
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खुद पी डाला
 
'''चन्दन-सा जीवन'''
 
'''चन्दन-सा जीवन'''
 
बना कोयला
 
बना कोयला

21:35, 3 जुलाई 2019 के समय का अवतरण


घृणा थी रौंदी
किसी का दु:ख देखा
तो हिस्सा माँगा,
सदा ज़हर मिला-
खुद पी डाला
चन्दन-सा जीवन
बना कोयला
फिर राख हुआ था
ख़ाक़ हुआ था
सब कुछ देकर
मैंने क्या पाया-
आहें और कराहें
छलनी हुआ सीना।