Last modified on 8 मार्च 2017, at 12:46

घोघ हटिते अहाँके गजल बनि जेतै / नवल श्री 'पंकज'

घोघ हटिते अहाँके गजल बनि जेतै
रूप सजिते अहाँके गजल बनि जेतै

हटि क' बैसल अहाँ तें गजल दम धेने
संग अबिते अहाँके गजल बनि जेतै

देखि चुप्पी अहाँके ठमकि हम गेलौं
हँसि क' बजिते अहाँके गजल बनि जेतै

बेबहर पांति सजतै एसगर कोना
मीत बनिते अहाँके गजल बनि जेतै

नेह भरि दी अहाँ मतलासँ मकता धरि
भाव पबिते अहाँके गजल बनि जेतै

प्रात करतै नवल पुनि जगरने केने
बाट तकिते अहाँके गजल बनि जेतै