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चंद आदिम रूप / विजयशंकर चतुर्वेदी

बाढ़ में फंसने पर
वैसे ही बिदकते हैं पशु
जैसे ईसा से करोड़ साल पहले ।

ठीक वैसे ही चौकन्ना होता है हिरन
शेर की आहट पाकर
जैसे होता था हिरन बनने के दिनों में ।

गज और ग्राह का युद्ध
होता है उसी आदिम रूप में ।

जैसे आज भी काट खाता है दाँतों से
नखों से फाड़ देता है मनुष्य शत्रु को
निहत्था होने पर ।