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चढ़ली जवनिया भइली जिउआ के जंजाल / महेन्द्र मिश्र

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चढ़ली जवनिया भइली जिउआ के जंजाल ए परदेसी सइयाँ।
ऊतऽ फँसि गइलें कूबड़ों के जाल ए परदेसी सइयाँ।
कहिके गइलें आएब परसों बीत गइलें बरसों ए परदेसी सइयाँ।
केकरा से कहीं जिव के हाल ए परदेसी सइयाँ।
प्रेमवाँ के रोगवा में रात दिन सोगवाप ए परदेसी सइयाँ।
भइल बारें पगली के हाल ए परदेसी सइयाँ।
धरीं कवन भेस हम जाई कवन देस ए परदेसी सइयाँ।
उज्जर भइलें मुड़िया के बाल ए परदेसी सइयाँ।
हमनी के स्याम तेजे चिठियों ना भेजे ए परदेसी सइयाँ।
परलें सवतिया से हवाल ए परदेसी सइयाँ।
रस में भोरवले बारी झांवर भइली सारी ए परदेसी सइयाँ।
द्विज महेन्दर जियरा बेहाल ए परदेसी सइयाँ।