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चन्दन नदी / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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कल-कल कलकल बहलोॅ जाय;
चन्दन माय।
वन-पर्वत केॅ गला लगाय;
चन्दन माय।
अंगदेश के मान बढ़ाय;
चन्दन माय।
जैठौरोॅ केॅ तीर्थ बनाय;
चन्दन माय।
मत पूछोॅ कुछ, जों गोस्साय
चन्दन माय।
की होलै जे कानली माय;
चन्दन माय।
आगू बढ़ै नै; घुरली जाय
चन्दन माय।