Last modified on 22 अक्टूबर 2013, at 05:47

चपला सी चमक चारू सुन्दर सोहावन स्याम / महेन्द्र मिश्र

चपला सी चमक चारू सुन्दर सोहावन स्याम
राम अभिराम कोटि काम छवि वारे हैं।
गोर-गोर भरथ रिपुसूदन वो लखन लाल।
बाल-विधु मानो स्याम घटा के निहारे हैं।
प्रेमन की बूंद मानो सावन झर लाई आज
पावस की समाज सजा आज ही सुधारे हैं।
द्विज महेन्द्र अतिअनंद देख के मुखार बिंद
बोलत बालकन्ह माई झूलन की बहारें हैं।