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चलु चलु भाई मोरा, आपनो नगरिया से / रामेश्वरदास

चलु चलु भाई मोरा, आपनो नगरिया से, छोड़ी देहो ना।
येहो माया के नगरिया से, छोड़ी देहो ना॥1॥
पूरब को पीठ करो, पश्चिम को मुखवा से, राह धरो ना।
भाई नैना के जोतिया से, राह धरो ना॥2॥
अगल-बगलवा में, दृष्टि नहीं डोले पावे, सीधे होके ना।
चलो आपनो नगरिया से, सीधे होके ना॥3॥
जाते-जाते जाई चलो, दच्छिन नगरियासे, सुनि लेहो ना।
भाई गुरु के सबदवा से, सुनि लेहो ना॥4॥
गुरु के सबदवा में, धरो सुरतिया से, पहुँचि जावो ना।
‘राम’ गुरु के नगरिया से, पहुँचि जावो ना॥5॥