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चलूँ चलूँ डगरिन भवन मोर, हम राजा दसरथ हे / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चलूँ चलूँ डगरिन भवन मोर, हम राजा दसरथ हे।
डगरिन, मोर घर अयलन भगमान, भेलन<ref>हुए जन्म लिया</ref> नंदलाल<ref>लोकगीतों में नंदलाल पुत्रमात्र के लिए व्यवहृत होता है</ref> मोरा हे॥1॥
एतना बचन जब सुनलन, सुनहुँ न पयलन<ref>पाया</ref> हे।
राजा लेइ आहु डोलिया कहार, बुलइत<ref>पैदल चलते हुए</ref> नहीं जायम<ref>जाऊँगी</ref> हे॥2॥
एतना सुनइते राजा दसरथ, डोलिया फनावल<ref>डोली तैयार किया</ref> हे।
डगरिन चढ़ि चलूँ मोर महलिया, बालक नहबावहु<ref>स्नान कराओ</ref> हे॥3॥
हम लेबो हँथिया से घोड़वा अउरी गजमोतीए<ref>गजमोती</ref> हे।
तमकि के बोलहकइ<ref>बोलती है</ref> डगरिन, तबे नहबायब हे॥4॥
एतना सुनत राजा दशरथ, डगरिन अरज करे हे।
डगरिन ले लेहु सहन<ref>संपूर्ण, भरा-पूरा</ref> भंडार, बालक नहबावहु हे॥5॥
धन धन धन राजा दसरथ, धन कौसीला माता हे।
ललना, धन धन डगरिन भाग, ले राम नेहबावल हे॥6॥

शब्दार्थ
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