मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
चलू सखि पूरय हकार हे, जनक जी के अंगना
होइ छनि चतुर्थी आजु हे, जनक जी के अंगना
हीरा जड़ाओल पालो राखल, ताहि पर सिया सुकुमारि हे
जनक जी के अंगना
सखि सभ मंगल गाओल, कलश भरि जल देल ढ़ारि हे
जनक जी के अंगना
मुसुकि-मुसुकि राम नहाथि, कि सखि सभ पढ़थि गारि हे
जनक जी के अंगना
पहिरि-ओढ़िय दुलहा अंगनामे ठाढ़, कि सासु के करथि प्रणाम
जनक जी के अंगना