भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चलो सखी चलिए री जहाँ झूलत युगल किशोर / बिन्दु जी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:01, 18 अक्टूबर 2016 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चलो सखी चलिए री जहाँ झूलत युगल किशोर।
घटा घिर आई बूँदें झरिलाइ शोर करे दादुर चातक॥
कोकिल नाचत मोर झूलत युगल किशोर।
अवध बिहारी, जनक दुलारी, झुमि-झुमि झमकि झुकत॥
झोंकन सों झकझोर, झूलत युगल किशोर।
सखियाँ झुलावें, मंगल गावें, अम्बुनिधि आनन्द को॥
जनु लेत तरंग हिलोर, झूलत युगल किशोर।
प्रभा समसिय, चन्द्र सियपिय, लखिसुख पावत, प्यास बुझावत।
‘बिन्दु’ चकोर झूलत युगल किशोर॥