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चल री सज-धज री दुलहनिया / दीपक शर्मा 'दीप'

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चल री सज-धज री दुलहनिया
तोहें पिया बुलावें रे

चल री सज-धज री दुलहनिया
तोहें पिया बुलावें रे
लइ के डोली चार कहऽरवा
दुअरे आवें रे
चल री सज-धज री दुलहनिया
तोहें पिया बुलावें रे...

चुनर पहिर ले रे मोर बहिनी
सेन्हुर माँग लगाव, सुनयनी
गोड़ महावर लागि गयल रे
कहो, उठावें रे।
चल री सज-धज री दुलहनिया
तोहें पिया बुलावें रे

नगर-नार-नर लोग लुगाई
देख रहे हँय सजल विदाई
इहाँ खुशी से झुमकी अपनी
हम झमकावें रे।
चल री सज-धज री दुलहनिया
तोहें पिया बुलावें रे

हाली हाली पाँव बढ़ावो
द्वार बलम के मोहे पठावो
देख कहऽरवा मोरे बालम
ना रिसियावें रे।
चल री सज-धज री दुलहनिया
तोहें पिया बुलावें रे
चल री सज-धज री दुलहनिया
तोहें पिया बुलावें रे।