Last modified on 11 जनवरी 2011, at 23:36

चश्मा / चन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:36, 11 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्र प्रकाश श्रीवास्तव |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> कल …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कल दोपहर मुझे धूप
रोज़ से ज्यादा चटख दिखी
हवा कल
ज़्यादा गर्म महसूस हुई
प्यास भी
कुछ ज़्यादा ही लगी
सड़क का कोलतार
कुछ ज़्यादा ही पिघला नज़र आया
 
कल जो मैं
धूप का रंगीन चश्मा
घर भूल आया था