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केकरा गृह में पारवती, केदली बन भौंरा रस माते। <br>
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वर दऽ हो भवानी, इहे मगन हम मांगी ले।
रामचन्द्र ऐसो कंत, लखन ऐसो देवर ज्ञानी, इहे मंगन...<br>
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राजा अयोध्या सरजुग जल निर्मल पानी, इहे मंगन...
  
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तनि भरि दऽ गगरियाऽ हो श्याम कहे बृजनारि।
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दूजे पाव में पायल भारी, कहे बृजनारि।<br><br>
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13:46, 21 सितम्बर 2013 का अवतरण


   ♦   रचनाकार: अज्ञात

१. सिया डाले राम गले जय माला, सिया डाले राम गले जय माला। रामचन्द्र दुलहा बनि आए। दुलहा बनि आए, दुलहा बनि आए। आरे लछुमन होऽऽ, बने सोहबाला, सिया डाले...

२. केदली बन भौंरा रस माते, के दली बन भौंरा रस माते। केकरा गृहे जन्मे सिया जानकी, अरे केकरा हो, केकरा गृह में पारवती, केदली बन भौंरा रस माते। केइएँ विवाही सिया जानकी, केइएँ विवाही पारबती, केदली बन भौंरा रस माते। राजा जनक गृहे सिया जानकी, अरे राजा होऽऽ, राजा हिवंचल के पारबती, केदली बन भौंरा रस माते।

३. वर दऽ हो भवानी, इहे मगन हम मांगी ले। रामचन्द्र ऐसो कंत, लखन ऐसो देवर ज्ञानी, इहे मंगन... राजा दसरथ ऐसो सुसर, सास कोसिल्या रानी, इहे मंगन... राजा अयोध्या सरजुग जल निर्मल पानी, इहे मंगन...

४. तनि भरि दऽ गगरियाऽ हो श्याम कहे बृजनारि। हमसे चढ़ा जात नाहि मोहन, जमुना ऊँच अरारी, पाव धरत हमरो जीउ डरऽवत, दूजे पाव में पायल भारी, कहे बृजनारि।