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चाँदनी के जोत चारो ओर बा / सूर्यदेव पाठक 'पराग'

चाँदनी के जोत चारो ओर बा
शारदी पूनम बड़ा चितचोर बा

जिन्दगी बा धूप-छाया के मिलन
रात दुख के बा, कबो सुख भोर बा

का दवा बा दर्द के मालूम ना
सब मिलल तबहूँ त आँखिन लोर बा

दे सकी माई के ममता, के इहाँ
बाप के दिल नारिकेल कठोर बा

जीव कठपुतरी बनल नाचत रहल
शक्ति कवनो, ले नचावत डोर बा

साधना के लालसा बा घट रहल
कामना सम्मान के पुरजोर बा