Last modified on 20 जुलाई 2011, at 01:35

चाँदनी विदा ले रही सबसे / गुलाब खंडेलवाल

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:35, 20 जुलाई 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


चाँदनी विदा ले रही सबसे
 
भू से, वन से, कुंज-भवन से
कंपित बेलों से, हिमकण से
कलि से, तितली से, अलिगण से,
तरु से, पत्तों से, फूलों से,
परिमल से, पिकरव से
चाँदनी विदा ले रही सबसे
 
मुख पर घन-अवगुंठन झीना
रो-रो दृग नलिनी श्री-हीना
करुण, सजल किरणों की वीणा
खिल-खिल हँसती हुई पुलिन पर
मिल न सकेगी अब से
चाँदनी विदा ले रही सबसे
 
तम से झिलमिल प्रियतम से मिल
मूक, विवश मुड़ती-सी, धूमिल
झरते वकुल, रो रही कोकिल
दीपक हिल-हिल माँग रहा है
अंतिम चुंबन कब से

चाँदनी विदा ले रही सबसे