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"चाँद ने मार रजत का तीर / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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22:46, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
चाँद ने मार रजत का तीर
निशा का अंचल डाला चीर,
जाग रे, कर मदिराधर पान,
भोर के दुख से हो न अधीर!
इंदु की यह अमंद मुसकान
रहेगी इसी तरह अम्लान,
हमारा हृदय धूलि पर, प्राण,
एक दिन हँस देगी अनजान!