आसमान की कक्षा में
चाँद बना है टीचर,
तारों को वह पढ़ा रहा
हौले से मुसकाकर।
मैं भी दौड़ूँ जल्दी से
नन्हे-नन्हे पग धर,
मन करता, नीला अंबर
बन जाए मेरा घर!
आसमान की कक्षा में
चाँद बना है टीचर,
तारों को वह पढ़ा रहा
हौले से मुसकाकर।
मैं भी दौड़ूँ जल्दी से
नन्हे-नन्हे पग धर,
मन करता, नीला अंबर
बन जाए मेरा घर!