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चांदनी के फूल (शरद गीत) / उर्मिल सत्यभूषण

पेड़ों पर पत्ते नये आने लगे हैं
पहन कर कपड़े वो इतराने लगे हैं
सिरफिरी पवनें लगी जो चूमने
खुश हुईं कलियाँ लगी हैं झूमने
फूल खिलने और शरमाने लगे हैं
फूंकती है कान में कुछ-कुछ हवा
इन परिन्दों को मिला जीवन नया
चहक कर उपवन को महकाने लगे हैं
कर दिया काली घटाओं को विदा
आसमाँ पर चन्द्रमा भी खिल उठा
चांदनी के फूल मुस्काने लगे हैं
शरद रुत का जादू कुछ ऐसे चला
बन गया हर प्राणी जैसे मनचला
झूमकर सब नाचने गाने लगे हैं।