भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चांद-चांदनी / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:28, 1 अप्रैल 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

विश्व के

वट-वृक्ष के ऊँचे शिखर पर
चांद चढ़ कर,

चाव से नीचे निरख कर,

दूध की बाहें पसारे,

माधवी मधुरा धरा को भेंटता है,

और

यौवन-यामिनी की--
चांदनी का--

फूल फेनिल चूमता है ।