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चांद और घास / राहुल झा

मेरा और तुम्हारा
सारा फ़र्क
इतने में है
कि तुम ऊपर उगते हो
मैं नीचे उगती हूँ

और कितना फ़र्क हो जाता है इससे

तुम सिर्फ़ दमकते हो
मैं हरियाता हूँ...।