"चांद की सैर का ख्वाब / रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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− | न संगिनी की खटपट, | + | चुनावी रणनीति वहीं पर तै करेगा। |
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− | चुनावी रणनीति वहीं पर तै करेगा। | + | आक्रोश से भी बच जायेगा। |
− | वहाँ पर बैठे-बैठे वह, | + | |
− | सब कुछ हजम कर जायेगा, | + | कई क्लोनिंग जीव वहाँ नज़र आयेंगे |
− | और तो और जनता के | + | इस विचित्र माइक्रो दुनिया में |
− | आक्रोश से भी बच जायेगा। | + | कोई हिटलर, कोई लादेन |
− | कई क्लोनिंग जीव वहाँ नज़र आयेंगे | + | कोई सफेदपोश रावण |
− | इस विचित्र माइक्रो दुनिया में | + | जो वहाँ से भी सीता का- |
− | कोई हिटलर, कोई लादेन | + | हरण कर ले जायेगा । |
− | कोई सफेदपोश रावण | + | |
− | जो वहाँ से भी सीता का- | + | सबसे पहले सफेदपोश जीव ही |
− | हरण कर ले जायेगा । | + | वहाँ आवास बनायेगा |
− | सबसे पहले सफेदपोश जीव ही | + | चक्कर काटने में हैं वे निपुण |
− | वहाँ आवास बनायेगा | + | इसलिए चाँद की सैर करवाने का |
− | चक्कर काटने में हैं वे निपुण | + | ख़्वाब जनता को दिखायेंगे |
− | इसलिए चाँद की सैर करवाने का | + | जनता है बावरी |
− | ख़्वाब जनता को दिखायेंगे | + | ऐसे नेता को ही जितायेंगे ॥ |
− | जनता है बावरी | + | </poem> |
− | ऐसे नेता को ही जितायेंगे ॥< | + |
23:26, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
चाँद पर रहने का इन्तज़ाम करने लगे हैं लोग
इक्कीसवीं सदी में मानव चाँद पर-
सैर-सपाटे के लिए जायेगा,
सारे काम यंत्र करेंगे,
मानो मानव यंत्रमय हो जायेगा।
न संगिनी की खटपट,
न रोटी कमाने का चक्कर,
चक्कर लगाते-लगाते वह,
आज की राजनीति का अधिवेशन,
मंगल पर जा करेगा,
चुनावी रणनीति वहीं पर तै करेगा।
वहाँ पर बैठे-बैठे वह,
सब कुछ हजम कर जायेगा,
और तो और जनता के
आक्रोश से भी बच जायेगा।
कई क्लोनिंग जीव वहाँ नज़र आयेंगे
इस विचित्र माइक्रो दुनिया में
कोई हिटलर, कोई लादेन
कोई सफेदपोश रावण
जो वहाँ से भी सीता का-
हरण कर ले जायेगा ।
सबसे पहले सफेदपोश जीव ही
वहाँ आवास बनायेगा
चक्कर काटने में हैं वे निपुण
इसलिए चाँद की सैर करवाने का
ख़्वाब जनता को दिखायेंगे
जनता है बावरी
ऐसे नेता को ही जितायेंगे ॥