Last modified on 1 अप्रैल 2011, at 23:26

चांद - तारे / विष्णु नागर

मुझे चाँद चाहिए था
लेकिन मैं चाँद की तरफ बढ़ने लगा तो मुझे तारों ने मोह लिया
और मैं सोचने लगा एक चाँद के लिए इतने तारों को कोई
कैसे छोड़ दे

चाँद ने जब मेरा रुख भापा तो
एक तारा बन गया।