भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चांद / अग्निशेखर

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:28, 1 अप्रैल 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बादलों के पीछे
क़ैद है चांद
अंधेरे में डुबकी मार कर
                  आए हैं दिन

खुली खिड़कियाँ कर रही हैं
बादलों के हटने का इन्तज़ार

उमस में स्थगित हैं
लोगों के त्यौहार