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चांद : दो / सांवर दइया

तदूर में काढियोड़ी
सांतरी सिक्योड़ी रोटी
ऊपर क्यूं उछाळ दी
रे मरज्याणा !

थारो कांई
तूं तो धायोड़ो गोधो है
म्हारै भूखै टाबर कानी तो
देख्यो हुतो
रे मरज्याणा !