Last modified on 25 अप्रैल 2018, at 12:24

चानन भेल विषम सर रे / विद्यापति

चानन भेल विषम सर रे, भूषन भेल भारी।
सपनहुँ नहि हरि आयल रे, गोकुल गिरधारी॥
एकसरि थाड़ि कदम-तर रे, पछ हरेधि मुरारी।
हरि बिनु हृदय दगध भेल रे, झामर भेल सारी॥
जाह जाह तोहें उधब हे, तोहें मधुपुर जाहे।
चन्द्र बदनि नहि जीउति रे, बध लागत काह॥
कवि विद्यापति गाओल रे, सुनु गुनमति नारी।
आजु आओत हरि गोकुल रे, पथ चलु झटकारी॥