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चाय पी पी के दूध घी की कर दई महगाई / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चाय पी पी के दूध घी की कर दई महंगाई।
बड़ी आफत जा आई।
बेंचे दूध घरे न खावें, लड़का वारे बूंद न पावें।
चाहे पाहुन लो आ जावें
देवी देवता लो होम देशी घी के न पाई।। बड़ी...
घर को बेंचे मोल को धरते, रिश्तेदारों से छल करते,
जे नई बदनामी से डरते,
डालडा से काम चले हाल का सुनाई। बड़ी...
घी और दूध के रहते भूखे, जब तो बदन परे हैं सूखे,
भोजन करत रोज के रूखे
स्वाद गोरस बिना भोजन को समझो न भाई। बड़ी...
देशी घी खों हेरत फिरते, चालीस रुपया सेर बताते,
डालडा तो खूब पिलाते,
बेईमानी की खाते हैं खूब जे कमाई। बड़ी...
जब से चलो चाय को पीना, जिनखों मिले न धड़के सीना
आदत वालों का मुश्किल है जीना,
सुबह शाम उनको परवे न रहाई। बड़ी...
अपना बने चाय के आदी, चालू स्पेशल को स्वादी,
कर दई गौरस की बरबादी।
बीच होटल में जहाँ देखो चाय है दिखाई। बड़ी...