Last modified on 21 जनवरी 2011, at 17:54

चारु चरित्री / केदारनाथ अग्रवाल

चारु चरित्री,
चित्रित भाषा,
मानवबोधी व्यंजक हो-
संज्ञानी प्रतिबिंबन वाली
अनुरागी,
अनुरंजक हो,
वस्तुपरक विवरण-बोधी भी
कुंठित काय
कठोर न हो,
परिमल पूरित
आत्मपरक हो,
झंझा
और झकोर
न हो।

रचनाकाल: ०६-०४-१९९१