Last modified on 21 मई 2019, at 19:10

चाहिए मुझको दौलत नहीं / ऋषिपाल धीमान ऋषि

Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:10, 21 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ऋषिपाल धीमान ऋषि |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चाहिए मुझको दौलत नहीं
दिल को फिर भी तो राहत नहीं।

बज़्म में बस मुझे टोकना
ऐ सुख़नवर शराफ़त नहीं।

धर्म के नाम पर खूं बहे
कुछ भी हो ये इबादत नहीं।

लोग आपस में मिलते तो हैं
पर दिलों में महब्बत नहीं।

बस गिला खुद से ही है मुझे
ज़िन्दगी से शिकायत नहीं।

पाठ सच का पढ़ाते हैं वो
जिनके दिल में सदाक़त नहीं।

मौत से भी बुरी है हयात
कहते हो तुम क़यामत नहीं।

दिल मेरे मत परेशान हो
कौन है जिसपे आफ़त नहीं?

सच्चे इंसान को अब 'ऋषि'
बोलने की इजाज़त नहीं।