Last modified on 20 जनवरी 2010, at 13:01

चाह / रंजना जायसवाल

मुझे
सूरजमुखी बनने की चाह नहीं

नहीं चाहती मैं
ज़मीन से जुड़ी होकर भी
ताकती रहूँ आकाश

सूरज की कृपा पर
खिलूँ
मुरझाऊँ।