चिट्ठियाँ भिजवा रहा है गाँव
अब घर लौट आओ ।
थरथराती गन्ध
पहले बौर की
कहने लगी है
याद माँ के हाथ
पहले कौर की
कहने लगी है
थक चुके होंगे सफ़र में पाँव
अब घर लौट आओ ।
चिट्ठियाँ भिजवा रहा है गाँव
अब घर लौट आओ ।
थरथराती गन्ध
पहले बौर की
कहने लगी है
याद माँ के हाथ
पहले कौर की
कहने लगी है
थक चुके होंगे सफ़र में पाँव
अब घर लौट आओ ।