Last modified on 18 मई 2019, at 23:44

चिट्ठियाँ भिजवा रहा है गाँव / माहेश्वर तिवारी

चिट्ठियाँ भिजवा रहा है गाँव
अब घर लौट आओ ।

थरथराती गन्ध
पहले बौर की
कहने लगी है
याद माँ के हाथ
पहले कौर की
कहने लगी है

थक चुके होंगे सफ़र में पाँव
अब घर लौट आओ ।