Last modified on 8 मई 2011, at 23:03

चिट्ठियाँ / नरेश अग्रवाल

दूर से आती है चिटि्ठयाँ
अपनों को और अधिक अपना बनाने के लिए
और दुनिया छोटे से कागज में सिमटकर
बैठ जाती है हृदय पर
पहला खत था यह बेटी का
मुझको लिखा हुआ
अपने सारे दुख:-सुख का निचोड़
घूमता रहा कई दिनों तक मेरे मन में ।