भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चिड़ियाघर / बालस्वरूप राही

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रोज खेलते रहे पार्क में
आज चलेंगे चिड़ियाघर
दूर-दूर से जहां जानवर
रखे गए हैं ला-ला कर।

थैलीदार पेट कंगारू-
का जाने कैसा होता,
उस में बच्चा उसका कैसे
खूब मज़े से हैं सोता।

देखें तो दरियाई घोडा
कैसे केला खाता है,
देखें बब्बर शेर किस तरह
गुस्से से गुर्राता है।