Last modified on 22 सितम्बर 2016, at 02:03

चित्रकार माँ / नीता पोरवाल

अलसुबह
दीवारों पर सिर टिकाये
मुंडेरों की परछाइयां
और घुलने लगती हैं
जमी हुई परतें खारेपन की!

बह निकलते हैं
अलग अलग रंग
एक ही पोर्ट्रेट पर
पनीले मगर गहरे!

ऐसे ही कई पोट्रेट में
रंग भरता है चित्रकार
एक बार फिर से
खाली हो जाने के लिए!