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चित्र बनाया मैंने ऐसा / रमेश तैलंग

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चित्र बनाया मैंने ऐसा
जिसमें एक छोटा-सा घर था।
घर के पीछे एक नदी थी।
नदी किनारे नाव बँधी थी।
नाव देखकर मैं ललचाया।
मेरे मन में कुछ यूँ आया।
चलो, नाव में जरा बैठ लूँ।
चप्पू-चप्पू खेल खेल लूँ।
खेकर नाव कहीं ले जाऊँ।
लहरों के संग गाने गाऊँ।

कहीं मछलियाँ दिखें फुदकती।
इधर-उधर अठखेली करती।
उनको अपने पास बुलाऊँ।
आटे की गोलियाँ खिलाऊँ।
सूरज जब ढलने को आए।
चप्पू जब थकने को आए।
तब अपने घर वापस आऊँ
सपनों का संसार बसाऊँ।