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चिराग़े सेहरी / विष्णुचन्द्र शर्मा

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जल रही हैं नसें

झुलस रही हैं साँसें

दग्ध है सीना

टुक 'मीर'

"जिगर सोख़्ता की जल्द ख़बर ले ।"