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चीख के पहले / अनिल अनलहातु

और इसके पहले कि
सबकुछ खत्म हो जाए
सदा के लिए,
और तुम्हारे भीतर के
अंधेरे में डूब जाए.
मैं तुम्हारे अंदर के
आक्रोश को सुरक्षित
रख लेना चाहता हूँ
शीशे के चमकते जार, मर्तबान में
या किसी संग्रहालय की
अंधेरी दराज़ में।
ताकि देख सकें
आनेवाली पीढ़ियाँ
कि गुस्सेवर आदमी की
आखिरी चीख
कितनी सतही, खोखली और
हास्यास्पद होती है।